हर शाख पे उल्लू बैठा है…….. अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ???
भीषण है आज अहंता अरु, अतिशय प्रचण्ड है स्वार्थ भाव,
उद्देश्यहीन मानव जीवन आत्मिक विकासगति का अभाव!!
पशु से कण भर ही उत्तम है मानव से अद्यावधि कम है!!
भोजन,निद्रा,संतान वृद्धि आनन्द भोग,बहुविधि समृद्धि,!!
ये तो जीवन के हेतु नहीं उत्थान दिशा के सेतु नहीं
तमसावृत लोकों का पथ हैं अनवरत शान्ति के केतु नहीं!!
जागो तंद्रित, निद्रित जागो, हे विपथ दिशा गामी जागो,
हे वाद- विवाद भ्रमित जागो प्राप्तव्य श्रेष्ठ निज का पाओ!!